Goddess-lakshmi-foot-print-icon-in-Rajim छत्तीसगढ़ के राजिम में मिले देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न







 
छत्तीसगढ़ के प्रयागराज यानी राजिम में पुरातात्विक खुदाई में देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न मिले हैं. पहली बार लक्ष्मी के चरण चिह्न मिलने से राजिम क्षेत्र को पौराणिक कथाओं में 'श्री क्षेत्र' कहे जाने की पुष्टि हुई है.
पुरातत्वविद डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि माता लक्ष्मी के चरण चिह्न पूरे छत्तीसगढ़ में पहली बार मिले हैं. ये मौर्यकालीन उत्तर मुखी त्रिदेवी मंदिर में लाल पत्थर पर अंकित मिलते हैं. ये चरण चिह्न दो कमल फूलों पर मिले हैं, जिसमें से एक कमल का फूल सीधा और एक उल्टा है. उल्टे कमल फूल के ऊपर ये चरण चिह्न हैं. चरण चिह्न 60 गुणा 60 सेंटीमीटर के लाल पत्थर पर मिले हैं. इसके ऊपर 15 सेंटीमीटर के व्यास के अंदर ये चिह्न अंकित हैं.
शर्मा का कहना है कि माता लक्ष्मी के चरण चिह्न मिलने से इस बात की प्रामाणिकता सिद्ध होती है कि पौराणिक कथाओं में राजिम क्षेत्र को 'श्री क्षेत्र' कहा जाता था. वहीं लक्ष्मी देवी की उपासना ढाई हजार साल पूर्व से चली आ रही है.
गौरतलब है कि इससे पहले राजिम के सीताबाड़ी में एक मंदिर परिसर में स्थित तीन गर्भगृहों में विराजित लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा देवी का उत्तरमुखी मंदिर भी मिल चुका है. बड़े-बड़े पत्थरों को तराशकर बनाया गया यह मंदिर ढाई हजार साल पुराना, यानी मौर्यकालीन बताया जा रहा है.
पुरात्वविदों ने 12वीं शताब्दी में बाढ़ से इस मंदिर के क्षतिग्रस्त होने की बात कही है. इसके अलावा खुदाई में पांडुवंश में निर्मित मकानों की विस्तृत श्रंखलाएं भी मिल रही हैं.
पुरातत्वविद डॉ. शर्मा ने बताया कि इस मंदिर की उतर-दक्षिण लंबाई 9.65 मीटर और पूर्व-पश्चिम चौड़ाई 8.90 मीटर है. उनका कहना है कि मंदिर के चारों तरफ की दीवारें बड़े-बड़े तराशे हुए पत्थरों से निर्मित हैं. वहीं दक्षिण में तीन गर्भगृह हैं. बीच का गर्भगृह सबसे बड़ा 1.60 मीटर लंबा-चौड़ा है.
शांत मुद्रा वाली नृसिंह की मूर्ति भी मिली
डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि माता लक्ष्मी के चरण चिह्न मिलने के साथ ही राजिम में एक व्यक्ति के यहां शांत मुद्रा वाली नृसिंह की मूर्ति भी मिली है. मूर्ति 10 गुणा 9 गुणा 2.5 सेंटीमीटर की है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर नृसिंह की हिरण्यकश्यप का वध करती हुई प्रतिमा मिलती आई है, लेकिन नृसिंह भगवान की शांत मुद्रा वाली ये मूर्ति छत्तीसगढ़ में अब तक चार स्थानों पर प्राप्त हुई है. इसमें सिरपुर, गिदपुरी, केशकाल तथा अब राजिम शामिल है. मूर्ति काले ग्रेनाइड पत्थर की बनी हुई है.
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